अलबर्ट आइंस्टाइन का ‘खुशी का यह फार्मूला’ |95 साल पहले आइंस्टाइन ने लिखा था ‘खुशी का यह फार्मूला’ |
अलबर्ट आइंस्टाइन का ‘खुशी का यह फार्मूला’ 95 साल पहले आइंस्टाइन ने लिखा था ‘खुशी का यह फार्मूला’
दरअसल साल 1922 के नवंबर महीने में अलबर्ट आइंस्टाइन जापान की राजधानी टोक्यो में मौजूद थे। इसी शहर के इंपीरियल होटल में रुकने के दौरान आइंस्टाइन के पास एक कुरियर वाला उनका पार्सल लेकर आया।आइंस्टाइन ने कोरियर वाले को कुछ टिप देनी चाही लेकिन उस व्यक्ति ने टिप के पैसे लेने से मना कर दिया।इस घटना के बारे में कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि उस कोरियर वाले ने आइंस्टाइन से टिप के पैसे मांगे लेकिन आइंस्टाइन के पास खुले पैसे नहीं थे कोरियर वाला खाली हाथ न जाए इसलिए आइंस्टाइन ने अपने हाथों से लिखकर एक कागज उसके हाथ में दिया। उन्होंने यहां इंपीरियल होटल की स्टेशनरी पर जो कुछ लिखा था उसे ही खुशी का फार्मूला कहा जाता है। आइंस्टाइन ने इस कागज़ पर लिखा था
"खुशी का यह फार्मूला’
""‘कामयाबी के पीछे भागने से हमेशा बेचैनी ही हाथ आती है,लेकिन शांत और सादगी से भरी जिंदगी हमेशा खुशियां देती हैं’""
-अलबर्ट आइंस्टाइन
अलबर्ट आइंस्टाइन का ‘खुशी का यह फार्मूला’ दस करोड़ तेईस लाख रुपये का बिका
मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का ख़ुशहाल जीवन के बारे लिखा एक नोट येरूशलम में हुई नीलामी में करीब दस करोड़ तेईस लाख रुपये का बिका है.Attitude status on whatsapp
अलबर्ट आइंस्टाइन का ‘खुशी का यह फार्मूला’ |95 साल पहले आइंस्टाइन ने लिखा था ‘खुशी का यह फार्मूला’ |
Reviewed by Dynamic News
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December 17, 2017
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